रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार की मानवीय, संवेदनशील और परिणाम-उन्मुख पुनर्वास नीति के तहत बस्तर में एक और बड़ी सफलता दर्ज हुई है। “पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन” पहल के अंतर्गत 37 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। यह आत्मसमर्पण न केवल व्यक्तिगत बदलाव का प्रतीक है, बल्कि बस्तर में स्थायी शांति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत भी है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस आत्मसमर्पण का स्वागत करते हुए कहा कि बस्तर अब तेजी से शांति, स्थिरता और विकास की नई राह पर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की निरंतर कार्रवाई, प्रभावी प्रशासनिक समन्वय और पुनर्वास-केंद्रित नीतियों के कारण माओवादी हिंसा के खिलाफ निर्णायक सफलता मिली है।
छत्तीसगढ़ में अब तक 487 से अधिक नक्सली न्यूट्रलाइज, 1849 से ज्यादा गिरफ्तार और 2250 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये आंकड़े बदलते बस्तर और सरकार की नीतियों पर बढ़ते विश्वास का प्रमाण हैं। लगातार बढ़ते आत्मसमर्पण से बस्तर में नई सुबह का वातावरण बना है, जहां शांति, भाईचारा और स्थायी समृद्धि की नई राह खुल रही है।
उन्होंने कहा कि पुलिस, सुरक्षा बल और प्रशासन के संयुक्त प्रयासों ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है, जिससे माओवादी हिंसा पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सका है। आज का आत्मसमर्पण इसी बदलते माहौल और विश्वास की स्थापन का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति, पूना मारगेम और नियद नेल्ला नार योजना के तहत हर आत्मसमर्पित व्यक्ति को सुरक्षा, सम्मान और पुनर्वास की पूर्ण सुविधाएं प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता है। ये योजनाएं बस्तर को हिंसा की छाया से बाहर निकालकर सामाजिक मजबूती की ओर ले जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि बस्तर में जारी यह सकारात्मक परिवर्तन आगे भी जारी रहेगा और क्षेत्र शांति, विकास, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक समरसता की नई पहचान स्थापित करेगा।