रायपुर। नगर निगम द्वारा एनआईटी चौपाटी हटाने के लिए अचानक दिए गए नोटिस और शुरू की गई कार्रवाई के खिलाफ पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर ने कड़ा विरोध जताया है। इस मुद्दे पर उन्होंने नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को ज्ञापन सौंपते हुए इसे “प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक दबाव में की गई अमानवीय कार्रवाई” बताया।
अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप
ढेबर ने अपने ज्ञापन में कहा कि एनआईटी चौपाटी का डिजाइन, ड्रॉइंग और अनुमोदन स्वयं नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वीकृत किया था। ऐसे में अब उसे अवैध बताकर हटाने की कार्रवाई करना प्रशासन द्वारा अपनी ही गलती और लापरवाही छिपाने जैसा है।
राजनीतिक दबाव में लिए जा रहे फैसले
पूर्व महापौर ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय विधायक के दबाव में निगम अधिकारी जल्दबाजी में निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिना सुनवाई और बिना उचित प्रक्रिया अपनाए चौपाटी हटाने का कदम “रोज़गार छीनने वाला असंवेदनशील निर्णय” है।
दोहरा मापदंड—बूढ़ापारा चौपाटी पर कार्रवाई क्यों नहीं?
ज्ञापन में यह भी सवाल उठाया गया कि स्कूल–कॉलेज की आड़ में एनआईटी चौपाटी पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि बूढ़ापारा चौपाटी, जहाँ गर्ल्स स्कूल और कई शिक्षण संस्थान मौजूद हैं, वहां कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसे चयनात्मक और पक्षपातपूर्ण बताया गया।
गुड़ियारी की 24 करोड़ की पाइपलाइन पर भी उठे सवाल
ढेबर ने रायपुर पश्चिम क्षेत्र में 24 करोड़ की पाइपलाइन परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना पानी की उपलब्धता और स्रोत की जांच किए यह कार्य कराया गया है। इसके लिए संबंधित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की गई है।
उच्च स्तरीय जांच समिति की मांग
ज्ञापन में चौपाटी विवाद की उच्च स्तरीय जांच, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और राजनीतिक दबाव में लिए गए निर्णयों की समीक्षा की मांग रखी गई है।
7 दिनों में समाधान नहीं तो आंदोलन की चेतावनी
ढेबर ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री आवास घेराव के लिए बाध्य होंगे।
एनआईटी चौपाटी हटाने को लेकर पूर्व महापौर की यह आपत्ति अब नगर निगम और नगरीय प्रशासन विभाग की कार्यशैली पर नए विवाद और राजनीतिक तनाव को जन्म देती दिख रही है।