रायपुर। NIT चौपाटी हटाए जाने के विवाद ने शहर के सैकड़ों परिवारों को अचानक आजीविका संकट में धकेल दिया है। इसी विषय को लेकर पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर आज अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ राजभवन पहुँचे और महामहिम राज्यपाल रमन डेका को विस्तृत ज्ञापन सौंपकर पूरे प्रकरण की वास्तविक और संपूर्ण जानकारी उनके सम्मानित संज्ञान में लाई।
मुलाकात के दौरान ढेबर ने बताया कि चौपाटी संचालकों को बिना पूर्व सूचना, बिना सुनवाई और बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के अचानक हटाया गया, जिससे अनेक परिवार पूरी तरह से बेरोज़गारी की स्थिति में आ गए। उन्होंने राज्यपाल को अवगत कराया कि यह सिर्फ दुकानों का मामला नहीं, बल्कि उन परिवारों का जीवनयापन, बच्चों की पढ़ाई और दैनिक आवश्यकताओं से जुड़ा मुद्दा है।
ढेबर ने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया कि वेंडर्स के लिए जिस वैकल्पिक स्थान की बात कही जा रही है, वहाँ पानी, बिजली, प्रकाश, शेड, सुरक्षा और स्वच्छता जैसी मूल सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। रेलवे द्वारा भूमि दावा किए जाने और स्थल की अस्पष्ट स्थिति ने वेंडर्स को और अधिक दुविधा में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरे मामले का एक मानवीय पहलू है, जो राज्यपाल तक पहुँचना आवश्यक था।
पूर्व महापौर ने राज्यपाल को यह भी बताया कि चौपाटी का चयन और इसकी संपूर्ण प्रक्रिया 2017-18 में “यूथ हब फूड कोर्ट मॉडल” के तहत शुरू हुई थी। यह परियोजना स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा केंद्र सरकार के कंसल्टेंट की सिफारिश पर—and कलेक्टर, जो स्मार्ट सिटी बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं—उनकी सहमति से तैयार की गई थी। ढेबर ने कहा कि यह जानकारी इसलिए आवश्यक है ताकि स्पष्ट रहे कि चौपाटी किसी अनधिकृत प्रक्रिया का परिणाम नहीं थी, बल्कि एक पूर्व स्वीकृत, व्यवस्थित रूप से विकसित की गई परियोजना थी।
ज्ञापन सौंपते हुए ढेबर ने स्पष्ट कहा कि इस मुलाकात का उद्देश्य किसी संस्थान या अधिकारी पर आरोप लगाना नहीं, बल्कि राज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद को स्थिति की सही, तथ्यात्मक और पूरी तस्वीर उपलब्ध कराना है। भविष्य में निर्णय संवेदनशीलता और व्यावहारिकता के साथ लिए जा सकें, यही इस प्रस्तुति का उद्देश्य है।
मुलाकात के दौरान राज्यपाल रमन डेका ने ज्ञापन को ध्यानपूर्वक सुना और विषय को संज्ञान में लेने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर के साथ, निगम में नेताप्रतिपक्ष आकाश तिवारी सहित उनका प्रतिनिधि मंडल भी उपस्थित रहा, जिसने वेंडर्स, स्थानीय व्यापारियों और प्रभावित परिवारों की ओर से उठाई जा रही चिंताओं को भी राज्यपाल के समक्ष रखा।