नई दिल्ली। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ा जमीन सौदे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दलितों के लिए आरक्षित सरकारी जमीन की खरीद पर विवाद गहराने से जहां विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है, वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बीच भी मतभेद उभर आए हैं।
यह मामला पुणे के पॉश मुंधवा इलाके की 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 1800 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आरोप है कि पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी ने इसे महज 300 करोड़ रुपये में खरीदा और केवल 500 रुपये स्टांप ड्यूटी अदा की। यह जमीन अनुसूचित जाति के महार समुदाय के लिए आरक्षित ‘वतन’ श्रेणी में आती है, जिसकी बिक्री सरकार की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती।
शिवसेना (यूबीटी) ने सवाल उठाया है कि महज 1 लाख रुपये की पूंजी वाली कंपनी को इतनी बड़ी जमीन पर डेटा सेंटर और आईटी पार्क बनाने की अनुमति कैसे मिल गई।
इस बीच, पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जांच की कमान संभाल ली है। एफआईआर में तहसीलदार सूर्यकांत येओले, धनंजय पाटिल, शीतल तेजवानी समेत नौ लोगों के नाम शामिल हैं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि “वोट चोरी से सत्ता पाने वाली महायुति सरकार अब जमीन चोरी में भी शामिल है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। वहीं, सरकार ने इस प्रकरण की जांच के लिए गठित समिति का विस्तार करते हुए इसमें छह सदस्य शामिल किए हैं।